भारतीय रेलवे ICF कोच को LHB कोच में क्यों बदल रहा है?

 
भारतीय रेलवे ICF कोच को LHB कोच में क्यों बदल रहा है?


भारतीय रेलवे (Indian Railway) ने रेल यात्रा सुरक्षा मानकों को बेहतर बनाने के लिए ICF Coaches को साल 2018 में बनाना बंद कर दिया था और रेलवे अब सिर्फ LHB Coaches बनाती है।


आपने भारतीय रेल में दो अलग-अलग रंग के कोच ज़रूर देखे होंगे-- नीला और लाल। लेकिन क्या आप जानते हैं  कि भारतीय रेलवे ने नीले रंग वाले ICF Coach को बनाना  क्यों बंद कर दिया है औ र अब सिर्फ लाल रंग वाले  LHB coach क्यों बना रही है? आइए इस लेख में जानते हैं कि भारतीय रेलवे (Indian Railway) सिर्फ LHB coach क्यों बना रही है।



जानें ICF और LHB कोच में क्या अंतर है? 

रेलगाड़ी में नीले रंग वाले कोच को ICF (Integral Coach Factory) और लाल रंग वाले कोच को LHB (Linke Hofmann Busch) कहते हैं। आइए इस लेख में दोनों कोच के बीच का फर्क जानते हैं।


रेलगाड़ी हमारे जीवन का एक महत्तवपूर्ण हिस्सा है, लेकिन रेलगाड़ी से जुड़ी कई बातें ऐसी हैं जो हमें पता नहीं हैं। हम सभी ने रेलगाड़ी के दो अलग-अलग कोच देखे होंगे और सफर भी किया होगा-- पहला, नीले रंग का और दूसरा, लाल रंग का। लेकिन क्या आप इन दोनों के बीच का अंतर जानते हैं? आइए इस लेख में दोनों कोच के बीच का फर्क जानते हैं।


ICF और LHB कोच के बीच का अंतर

रेलगाड़ी में नीले रंग वाले कोच को ICF (Integral Coach Factory) और लाल रंग वाले कोच को  LHB (Linke Hofmann Busch) कहते हैं।


1- इंटीग्रल कोच फैक्ट्री (आईसीएफ) चेन्नई, तमिलनाडु में स्थित है। 


2- इसकी स्थापना सन् 1952 में की गई थी।


3- ये लोहे (iron) से बनाई जाती है और इस वजह से भारी होती है। 


4- इसमें एयर ब्रेक (air brake) का प्रयोग होता है। 


5- अधिकतम अनुमेय गति (maximum permissible speed) 110 किमी प्रति घंटा है। 


6- इसके रखरखाव में ज़्यादा खर्चा होता है। 


7- इसमें बैठने की क्षमता कम होती है (SL-72, 3AC-64) और ये कोच LHB कोच से 1.7 meters छोटे होते हैं। 


8- दुर्घटना के बाद इसके डिब्बे एक के ऊपर एक चढ़ जाते हैं क्योंकि इसमें Dual Buffer सिस्टम होता है।


9- इसका राइड इंडेक्स  3.25 होता है।


10- ICF कोच को 18 महीनों में एक बार आवधिक ओवरहाल (POH) की आवश्यकता होती है।

LHB (Linke Hofmann Busch):


1- लिंक हॉफमेन बुश (एलएचबी) कोच को बनाने की फैक्ट्री कपूरथला, पंजाब में स्थित है और ये कोच जर्मनी से भारत लाए गए हैं। 


2- ये साल 2000 में  जर्मनी से भारत लाई गई है। 


3-  ये स्टेनलेस स्टील (Stainless Steel) से बनाई जाती है और इस वजह से हल्की होती है। 


4- इसमें डिस्क ब्रेक (disc brake) का प्रयोग होता है। 


5- अधिकतम अनुमेय गति (maximum permissible speed) 200 किमी प्रति घंटा है और इसकी परिचालन गति (operational speed) 160 किमी प्रति घंटा है । 


6- इसके रखरखाव में कम खर्चा होता है। 


7- इसमें बैठने की क्षमता ज़्यादा होती है (SL-80, 3AC-72) क्योंकि ये कोच ICF कोच से 1.7 meters ज़्यादा लंबे होते हैं। 


8- दुर्घटना के बाद इसके डिब्बे एक के ऊपर एक नहीं चढ़ते हैं क्योंकि इसमें Center Buffer Couling (CBC) सिस्टम होता है।


9- इसका राइड इंडेक्स 2.5–2.75 के बीच होता है। 


10- LHB कोच को 24 महीनों में एक बार आवधिक ओवरहाल (POH) की आवश्यकता होती है।


भारतीय रेलवे ICF कोच को LHB कोच में क्यों बदल रहा है?


पहले LHB कोच का प्रयोग सिर्फ तेज गति वाली ट्रेनों में किया जाता था जैसे कि गतिमान एक्सप्रेस, शताब्दी एक्सप्रेस और राजधानी एक्सप्रेस लेकिन भारतीय रेलवे ने सभी ICF कोच को जल्द से जल्द LHB कोच में अपग्रेड करने का फैसला किया है। ऐसा इसलिए किया गया है क्योंकि LHB कोच सुरक्षा, गति, क्षमता, आराम आदि मामलों में ICF कोच से बेहतर हैं। 






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