उत्तराखंड का काफल क्या है

उत्तराखंड की लोक कथा काफल —कर काफल एक मीठा रसीला खट्टा पहाड़ी फल है जो उत्तराख्न मे अप्रेल मई के महीने मे होता है यह ठंडी जलवायु मे होता है फल है इसको जब तोड़ कर लाते हैतो उस वक्त यह ज्यादा फुला फुला दिखता है परंतु जब मुरझा जाए तो कम दिखता है कहानी —एक गावं मे माँ बेटी रहते थे माँ घर का खर्च काफल बेच कर चलाती थी एक दिन माँ सुबह सुबह काफल तोड़ कर लाई बेटी को देते हुए बोली इन काफलों को संभाल कर रख में तब तक कुछ और काम कर आती हु बेटी ने एसा ही किया माँ द्वारा दिए काफल उसने संभाल कर रख दिए जब थोड़ी देर मे माँ आई तो बेटी से काफल मांगे बेटी ने काफल की टोकरी माँ को थमा दी पर ये क्या काफल तो कम है माँ ने बिना सोचे बेटी को इतनी जोर से मारा यह कहते हुए की तूने ये काफल क्यू खाए बेटी को यह कहने का मौका नहीं मिला की उसने ये काफल नहीं खाए और उसके प्राण पखेरू उड़ गए वह मर गई जब तक माँ का गुस्सा शांत हुआ तो देर हो गई थी माँ बहुत रोई और बेटी के गम में खुद भी मर गई कहते है की वह दोनों माँ बेटी एक चिड़िया बन गई

और बेटी चिड़िया बन कर कहती हमारी कुमाऊँ की भाषा मे — बेटी चिड़िया काफल पाकों मिल नि चखो माँ चिड़िया हाँ पोथी हाँ अर्थात बेटी की आत्मा कहती है italic;"> मां काफल पका पर मैने नहीं चखा माँ कहती है हाँ बेटी हाँ तूने नहीं खाया आज भी ये चिड़ियाया गया गया कर सुनाती हैन यहाँ - धन्यबाद

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काफल

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